कविताएँ
विचारवान लोग
सभा विसर्जित हो गई
सब चले गए
अपने-अपने ठौर
रह गई धूल
पाँवों झड़ी हुई
उन विचारों के साथ
जो धूल में मिला कर
छोड़ गए हैं
विचारवान लोग।
***
सब चले गए
अपने-अपने ठौर
रह गई धूल
पाँवों झड़ी हुई
उन विचारों के साथ
जो धूल में मिला कर
छोड़ गए हैं
विचारवान लोग।
***
जीवन
एक समय
जब सभी ने
निष्कासित कर दिया था मुझे
अपने–अपने जीवन–प्रसंगों से
मैंने स्वंय से
पूछा था एक सवाल
क्या जीवन
इतने से हो जाता है समाप्त ?
ज़बाव में
मैं जिंदा हूँ अभी तक।
***
जब सभी ने
निष्कासित कर दिया था मुझे
अपने–अपने जीवन–प्रसंगों से
मैंने स्वंय से
पूछा था एक सवाल
क्या जीवन
इतने से हो जाता है समाप्त ?
ज़बाव में
मैं जिंदा हूँ अभी तक।
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वक्त़
मंदिर कलश पर
परिंदों को जोड़े में बैठे देखना
होता है शुभ
जब ये समझाया था तुमने
तब मैंने कहाँ सोचा था
वक्त़ नहीं लगता
इंसान को
परिंदों को जोड़े में बैठे देखना
होता है शुभ
जब ये समझाया था तुमने
तब मैंने कहाँ सोचा था
वक्त़ नहीं लगता
इंसान को
परिंदा बनकर उड़ जाने में।
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***
संभावना
उसके माथे पर बिंदिया दीपक सी
झिलमिलाई और ओठों पर गहराई
स्निग्ध मुस्कान की नदी
डूब गईं जिसमें
झिलमिलाई और ओठों पर गहराई
स्निग्ध मुस्कान की नदी
डूब गईं जिसमें
असंख्य नयनों की कश्तियाँ
चँद उबरने वाली वे थीं
जिनकी पतवार अपलक
ताक रही थी बिंदिया–दीप
बचना है तो
पलक नहीं झपकाना है
टूटती संभावना को
ऐसे ही पाना है।
***
चँद उबरने वाली वे थीं
जिनकी पतवार अपलक
ताक रही थी बिंदिया–दीप
बचना है तो
पलक नहीं झपकाना है
टूटती संभावना को
ऐसे ही पाना है।
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कविता
अन्तर की गहराई आँकी नहीं जाती
कविता वह है
जो किसी पैमाने से नापी नहीं जाती
माँ के ह्रदय की, आवाज़ है कविता
शायर के कहने का अंदाज है कविता
इतिहास का आज है कविता
प्रेम का एहसास है कविता
विरह में पतझड़,
मिलन में मधुमास है कविता
वसुधा का वसन्त है कविता
अम्बर सी अनन्त है कविता
हलघर की हरी फसल है कविता
संगीत का अनहद नाद है कविता
कवियों का तख्त़ो–ताज है कविता
आप अगर सुन लें तो
मेरी आवाज़ है कविता
***
वसुधा का वसन्त है कविता
अम्बर सी अनन्त है कविता
हलघर की हरी फसल है कविता
संगीत का अनहद नाद है कविता
कवियों का तख्त़ो–ताज है कविता
आप अगर सुन लें तो
मेरी आवाज़ है कविता
***
-श्वेता गोस्वामी
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